Monday, December 7, 2009

Shri Ramesh Pande, Regional Dy. Director(NR) Wildlife Crime Control Bureau (WCCB), New Delhi mobile - 9958705413

The police, along with wildlife officials, arrested a Sector 37-based shopkeeper on the charges of turtles protected under the Wildlife Act. The police recovered 15 turtles and eight conchs, worth several lakh of rupees, from Mayur Kumar, the shopkeeper, and registered a case under Sections 45 and 50 of the Wildlife Protection Act, 1972.


शंख नाद का अपना एक विशेष महत्व है। इसके गुणों पर आधुनिक वैज्ञानिकों को भी संदेह नहीं है। इस शंख ध्वनि को सुनकर विश्वविख्यात भारतीय वैज्ञानिक डॉ. जगदीश चंद्र बोस अचानक अचंभित रह गए थे। हर दिन सुनाई वाले शंखनाद में उन्हें ऐसा कुछ दिखाई देने लगा, जो कत्तों के करुण चीत्कार तथा रुदन का कारण बनता है, मानो उन पर किसी भारी चीज आघात किया गया हो। यह तथ्य मंदिरों में भगवान की आरती के बाद बजाए जाने वाले शंख की आवाज से उनके सामने स्पष्ट हो कर उभरा। शंख को लेकर शोध करते करते डॉ. बोस इस नतीजे पर पहुंचे कि शंख फूंके जाने पर, उसके विशिष्ट आकार के कारण, उससे एक सर्पिल ध्वनि निकलती है, जिसमें कीटाणुनाशक क्षमता होती है।

वैज्ञानिक बोस ने अपने शोधकार्य द्वारा जो कुछ प्रमाणित किया वह प्राचीन काल के ऋषि-मुनियों और विद्वानों को पहले से ही मालूम था। पुराणों में उद्धृत है कि शंख बजाकर प्राकृतिक प्रकोपों तथा दुरात्माओं से बचाव हो सकता है। शायद यही कारण है कि वैदिक काल से ही हर धार्मिक अनुष्ठान के प्रारंभ में शंख बजाने का प्रचलन है। महाभारत से पता चलता है कि कुरुक्षेत्र युद्ध की शुरुआत भी शंख नाद से हुई थी और प्रत्येक सैनिक के पास उसका निजी शंख था। कृष्ण जी के शंख का नाम पांचजन्य तथा अर्जुन के शंख का नाम देवदत्त था।

योगियों एवं साधकों का मानना है कि शंख बजाने से न केवल फेफडे+ पुष्ट होते हैं, बल्कि आंतें भी सुव्यवस्थित रहती हैं। शंख बजाने वाले तथा उसकी आवाज सुनने वाले, दोनों के लिए लाभदायक है। इसकी आवाज से मस्तिष्क का स्नायुतंत्र सक्रिय रहता है, जिससे स्मरण शक्ति बढ़ती है और सिर दर्द से आराम मिलता है।

कहा जाता है कि शंखनाद से शिला वृष्टि भी रोकी जा सकती है। शंख नाद के इस चमत्कारी प्रभाव के बारे में तर्क दिया जाता है कि ऐसा करने के लिए कुछ मंत्रोच्चारण की आवश्यकता होती है और दो महीने तक विशेष धार्मिक अनुष्ठान के बाद ही इस प्रकार के परिणाम संभव होते हैं।

कहा यह भी जाता है कि एक महान साधक शंख ध्वनि से वर्षा भी रोक देते थे। लेकिन उन्होंने, मानव हित हेतु , कभी किसी के सामने ऐसा करने के लिए आवश्यक मंत्र का भेद नहीं खोला; शायद इसलिए कि वह इसके दुरुपयोग किए जाने के दुष्परिणामों से अवगत थे।

शंखनाद क्यों ?

समुद्र मंथन के समय प्राप्त चौदह रत्नों में से एक शंख की उत्पत्ति छठे स्थान पर हुई। शंख में भी वही अद्भुत गुण मौजूद है, जो अन्य तेरह रत्नों में हैं। इसके नाद से अ, ओम अर्थात क्क शब्द निकलता है। शंख बजाते समय इस क्क का नाद जहां तक जाता है, वहां तक की नकारात्मक ऊर्जा नष्ट हो जाती है। वैज्ञानिक भी इस बात पर एक राय रखते हैं कि शंख नाद से वायुमंडल के वे अति सूक्ष्म विषाणु नष्ट हो जाते हैं, जो मानव जीवन के लिए घातक होते हैं।

वैदिक मान्यता में शंख को विजय घोष का प्रतीक माना जाता है। शुभ कार्य करते समय शंख नाद से शुभता का
अत्यधिक संचार होता है। शंख का नाद सुनते ही ईश्वर का स्मरण हो आता है। इसके वादन से आसुरी शक्तियां घर में प्रवेश नहीं कर सकतीं। यही नहीं, घर में शंख रखने और बजाने से वास्तु दोष से भी रक्षा होती है।

स्वास्थ्य की दृष्टि से शंख बजाना विशेष लाभदायक है। इससे योग की तीन महत्वपूर्ण क्रियाएं एक साथ हो जाती हैं - पूरक, कुंभक और प्राणायाम। साथ ही हृदयाघात, रक्तचाप की अनियमितता, श्वास रोग, मंदाग्नि आदि से भी बचाव होता है।

Coelenterates, Mollusca and Echinodermata Are Banned in India - Naresh Kadyan











PFA, Meanwhile, Blows Conch to Protect Marine Life - Naresh Kadyan









Conch Shell Arrest : A Repeat of 1847 - Abhishek Kadyan


Dear Mr. Kadyan,
Please note that after July 2001 notification, another amendment notification notifying only 9 species under Shark and Ray (under Schedule 1, Part II A (2)) and only 9 species of Sea shells under Part IV B (of Schedule 1), and notifying only 15 species under Schedule IV (19) of the Act. The details are available in the link http://www.envfor.nic.in/legis/wildlife/so1197(e).htm.
With regards,

S. Narayanan, IFS
Regional Deputy Director,
National Wildlife Crime Control Bureau,
Rajaji Bhavan,
Chennai.
Tamil Nadu.
Phone : 91-44-24916747
Fax : 91-44-24463477

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