‘शंख’ के लिए होगा शंखनाद
नरेश कादयान ने कहा की ये पर्तिबंध हरियाणा सरकार ने नहीं जबकि अटल बिहारी वाजपेयी कीसरकार में ये हुआ था, क़ानून अपना काम करेगा, दुर्लभ शंख जो पर्तिबंदित हो, रखना ही गलत - नरेश कादयान शिकायतकर्ता -09813010595, 9313312099
शंख को प्रतिबंधित सूची से निकालने की मांग
गीता जयंती के पावन अवसर पर कुरुक्षेत्र में बह्मïसरोवर के तट पर वन्य प्राणी जीव—जंतु विभाग की ओर से शंख व कोडिय़ां विक्रेताओं के खिलाफ कार्रवाई की निंदा की है। प्रभुराम कार्य संपर्क प्रमुख अजीत कुमार ने बताया कि शंख हमारी धार्मिक परंपराओं में शामिल है। प्रेस को जारी विज्ञप्ति में सुनील कुमार ने मांग की कि सरकार जीव जंतु विभाग के अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें। उनकी यह भी मांग है कि शंख को प्रतिबंधित सूचि से निकाला जाना चाहिए।
क़ानून अपना काम करेगा, दुर्लभ शंख रखना जो पर्तिबंदित हो, रखना ही गलत - नरेश कादयान शिकायतकर्ता
नरेश कादयान द्वारा शिकायत दर्ज करवा दी तथा जागरूकता अभियान का शंखनाद कुरुक्षेत्रसे ही किया . मंदिर में शंख बजने पर कोई पर्तिबंध नहीं.
शंख की बिक्री पर प्रतिबंध, हिंदुत्व भावनाओं पर चोट
शंख के बिना हिंदू धर्म में पूजा अधूरीDanik Bhasker News
शंख पर प्रतिबंध तुगलकी फरमान : संघ
भारतीय संस्कृति के प्रतीकों में से एक शंख पर प्रतिबंध लगाए जाने पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने अपना विरोध जताया है। उनका कहना है कि यह एक तुगलकी फरमान से ज्यादा कुछ नहंी है।
इस संबंध में संघ के प्रचार विभाग की बैठक नगर प्रमुख अजय शर्मा की अध्यक्षता में हुई। बैठक में अजय ने कहा कि स्वतंत्र भारत में भी मुगलों और अंग्रेजों की तरह हिंदू जनता की धार्मिक एवं सामाजिक परंपराओं का दमन जोर पकड़ता जा रहा है। कभी यात्राओं, सम्मेलनों व पूजा पद्धति के विरोध होते है, तो वर्तमान में शंख पर प्रतिबंध एक ऐसा ही तुगलकी फरमान है। हरियाणा की कांग्रेस सरकार ने इसे वन्य प्राणी संरक्षण विभाग द्वारा जारी करवाकर अपने छद्म धर्मनिरपेक्ष स्वरूप का एक बार फिर से हिंदू भावनाओं को दबाने का प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि यह हिंदुओं की मान्यताओं के ऊपर एक काले कानून की तरह थोपा गया है क्योंकि सनातन मान्यताओं में शंख के बिना कोई भी धार्मिक कार्य एवं हवन यज्ञ अधूरा ही रहता है। हिंदू मान्यताओं में शंख ध्वनि से प्रेत बाधाओं इत्यादि से भी छुटकारा मिलता है। उन्होंने कहा कि जिस धर्म नगरी कुरुक्षेत्र से शंख पर प्रतिबंध शुरू हुआ वहां से महाभारत की लड़ाई का शंखनाद भगवान श्री कृष्ण ने अपने पांचजन्य शंख से ही किया था। सतयुग, द्वापर एवं वर्तमान युग में भी हर धार्मिक कार्य एवं आयोजन में भी शंख ध्वनि से ही आरंभ होते है। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा इसे राष्ट्रीय संपत्ति घोषित किए जाने के बाद मंदिरों में काम करने वाला कोई भी ब्राह्मण इसे घर या मंदिर में उपयोग तो दूर की बात इसे अपने पास रख भी नहीं सकेगा।
बैठक में सरकार के फैसले का कड़ा विरोध करते हुए हरियाणा सरकार को चेताया गया कि यदि इस कानून को वापिस नहीं लिया गया तो सरकार के इस कुकृत्य का व्यापक विरोध जन आंदोलन का रूप धारण कर लेगा। बैठक में राजेश गुप्ता, पंकज रत्ती, विकास खेड़ा, गगन शर्मा, हितेश, विकास कालड़ा, संजय शर्मा आदि ने भी अपने विचार रखे। इन सभी ने सरकार से मांग की कि शंख पर प्रतिबंध वाले काले कानून को वापस ले। साथ ही चेतावनी भी दी कि यदि प्रतिबंध वापस नहीं लिया गया तो हिंदू जनमानस सड़कों पर उतर आएगा
कुरुक्षेत्र, जागरण संवाद केंद्र : श्री ब्राह्मण एवं तीर्थाेद्धार सभा ने माग की है कि गीता जयंती के अवसर पर आयोजित क्राफ्ट मेले में शख बेचने के आरोप में दुकानदार राजकुमार वर्मा के खिलाफ दर्ज मुकदमा तुरंत रद किया जाए। पीड़ित दुकानदार को सरकार की ओर से उचित मुआवजा दिया जाए। सभा के प्रधान जयनारायण शर्मा ने माग की कि शख बेचने वाले दुकानदार के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने वाले एनजीओ के पदाधिकारी नरेश कादियान तथा वन्य जीव संरक्षण विभाग के इस्पेक्टर के खिलाफ धार्मिक उन्माद फैलाने तथा झूठा मुकदमा दर्ज कराने के आरोप में केस दर्ज किया जाए। उन्होंने यह भी माग की कि इस मामले में बिना कानून का अध्ययन किए दुकानदार के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने वाले पुलिस अधिकारियों के विरुद्ध भी सख्त कार्रवाई की जाए।
गीता जयंती के अवसर पर आयोजित क्राफ्ट मेले में राजकुमार वर्मा नामक दुकानदार को मंदिरों में बजाए जाने वाले शख बेचने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। थानेसर के विधायक एवं इनेलो प्रदेशाध्यक्ष अशोक अरोड़ा ने शख पर प्रतिबंध लगाने के मामले को विधानसभा मे उठाने की चेतावनी दी थी। उसके बाद अब वन मंडल अधिकारी नरेश कुमार रगा ने समाचार पत्रों में बयान देकर यह स्पष्ट किया है कि मंदिरों में बजाए जाने वाले शख पर कोई प्रतिबंध नहीं तथा यह शख प्रतिबंधित शख की प्रजातियों में नहीं आते।
वनमंडल अधिकारी नरेश कुमार रगा ने कहा कि मंदिरों व पूजा स्थलों पर प्रयोग किए जाने वाले शख पर किसी भी प्रकार की कोई पाबंदी नहीं है। दक्षिणमुखी शख व वह शख जो मंदिरों व पूजा स्थलों में आमतौर पर प्रयोग में लाए जाते हैं, पर किसी भी प्रकार का कोई प्रतिबंध नहीं है। वन विभाग ने जिस शख व सिप्पी, कोड़ी पर प्रतिबंध लगाया है, वह मंदिरों व पूजा स्थलों में प्रयोग में नहीं लाया जाता। रगा ने स्पष्ट किया कि शख के प्रतिबंध संबंधी समाचारों को लेकर पिछले कई दिनों से मात्र भ्रान्ति है। पूजा के शखों पर कोई पाबंदी नहीं है।
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