Friday, December 11, 2009

नरेश कादयान का कुरुक्षेत्र में बरहम सरोवर के तट पर शंखनाद

कुरुक्षेत्र उत्सव गीता जयंती समारोह के दौरान ब्रह्मसरोवर तट पर लगाए गए

दो स्टॉलों का शंख और कौड़ियों बेचने के आरोप में चालान कर दिया गया। स्टॉल में रखे शंख और कौड़ियों भी जब्त कर ली गईं। वन्य जीव प्राणी विभाग के निरीक्षक ने बताया कि वाइल्ड लाइफ ऐक्ट 1972 समूचे देश में लागू है, जिसके तहत शंख और कौड़ियों की बिक्री गैरकानूनी है।

कानून का उल्लंघन करने पर आरोपी को सजा का सामना करना पड़ सकता है। हां, कुछ प्रदेश इसमें अपनी जरूरत के मुताबिक बदलाव कर सकते हैं। वन मंडल अधिकारी नरेश कुमार रंगा का कहना है कि शंख के मालिकाना हक के लिए विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेना जरूरी है। इसके लिए वन्य प्राणी संरक्षण कानून के शेडयूल वन पार्ट फोर और 42 सेक्शन में प्रावधान है।

शंख पर पाबंदी से साधु-संतों और हिंदूवादी संगठनों में रोष है। उनका कहना है कि अगर वेद-पुराणों पर नजर डाली जाए तो महाभारत के युद्ध का बिगुल भगवान श्रीकृष्ण ने शंख बजाकर ही फूंका था। तमाम हिंदू देवी-देवताओं के हाथों में शंख दिखाया जाता है, ऐसे में इस फैसले का कोई औचित्य नहीं है? षड्दर्शन साधु समाज के सचिव महंत बंसी पुरी इस मसले पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखेंगे। विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल जैसे हिंदूवादी संगठनों ने विभाग के अधिकारियों से मिलकर अपना रोष जताया है।

प्रदेश में वन्य जीव प्राणी विभाग के अधिकारियों का कहना है कि मंदिरों और घरों में शंख रखने के लिए विभाग से प्रमाणपत्र लेना जरूरी है। जो दुकानदार इनकी बिक्री करेंगे, उनको विभाग से लाइसेंस लेना जरूरी है। लाइसेंस के बिना शंख बेचना गैरकानूनी माना जाएगा।

वयोवृद्ध संत महंत गंगा पुरी, षडदर्शन साधु समाज के सचिव और श्री दक्षिणा काली पीठ के महंत बंसीपुरी, संगमेश्वर सेवाधाम के महंत बासुदेव गिरी लाल बाबा और दामोदर गिरी आदि संतों ने शंख बजाने या रखने पर पाबंदी को सनातन संस्कृति पर हमला बताया है। उनका कहना है कि भारतीय संस्कृति में शंख पूजन के बाद ही देव पूजन होता है। स्वामी बंसीपुरी ने कहा कि साधु समाज इस तरह की धर्म विरोधी बातों को कभी स्वीकार नहीं करेगा। विश्व हिंदू परिषद के प्रदेश संगठन मंत्री स्वप्न मुखर्जी ने इसे हिंदू अस्मिता पर गहरी चोट बताया

No comments:

Post a Comment